गीता कहती है सदा
गीता कहती है सदा,करिए सत व्यवहार।
मानव जीवन है मिला,करिए यह स्वीकार।
करिए यह स्वीकार,जपो नित प्रभु की माला।
होगा जीवन सफल,कटे जग भ्रम का जाला।
छोड़ो माया मोह,रखो मत मन मे भीता।
जपिये मिल सब लोग,पावन ग्रन्थ यह गीता।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
तिलसहरी, कानपुर नगर