गिला (GILA)
“ याद आया मुझको एक बार फिर
ख़ौफ़ में डूबे दिनों का सिलसिला ,
उजाले और अन्धेरों में बंटी
ज़िंदगी को रहा मुझसे गिला ,
कब्र में दफना दिया ज़ज़्बात को
तन्हाई ने बढ़ाया प्यास को ,
दिख रहा धूल का गुबार बस
गुम हुआ प्यार का काफ़िला “