गिला
किसे पुछूँ ? है ऐसा क्यों ? हुई हाय क्या ख़ता है।
कहाँ ढूढूं ? वो मीठे पल,सनम जब बेवफा है।
बेजुबान है इश्क मेरा, नहीं इसकी जुबां है।
तेरी चाहत में हूं घायल,गहन जख्मों के निशान हैं।
वो कहते थे नीलम हम तुम, नसीबों से मिले हैं।
लगी जाने नज़र किसकी,फ़कत अब फासले हैं।
नहीं तुमसे कोई शिकवा,खुदी से अब गिले हैं।
बोलती हैं नीलम आंखें,मगर क्यूं लब सिले हैं।
नीलम शर्मा ✍️