गिलहरियों को
मैं तो अपने
गुसलखाने की खिड़की से
दिन भर में न जाने कितनी बार
झांक आती हूं
वहां से दिखती
बाहर समीप ही
एक मोटे पाइप पर बैठी
अंदर बाहर फुदकती
गिलहरियों को
वह लोग
किस मिट्टी के बने होते हैं
उनके दिल पत्थर के होते हैं
फौलाद के या
फिर होते ही नहीं है जो
अपने दम तोड़ते मां बाप को भी
उनके पास आकर
उन्हें एक पल को नहीं देखते।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001