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23 Nov 2018 · 1 min read

कृष्ण भक्ति

अलौकिक अविरल भक्ति रस धारा
प्राणप्रिय मनमोहनीय रुप तुम्हारा

अदभुत आत्मीय छवि तिहारी
पीताम्बर पट मोर मुकुट धारी
तुम पर हम जाए बलिहारी
अनगिनत नाम तिहारे
कोई कहे गोपाला कोई साँवरा
भक्त हो जाए भक्ति में बांवरा

श्यामवरण तीक्ष्णनयन ओ पालनहारी
तेरी बंशी की धुन पर हर इक गोपी वारी
मीरा के प्रभू गिरधर नागर करमा के घनश्याम
इक असुवन जल सीच प्रेम बेल बोई
जब तक दरश न दिखाए दुजी भक्ति मे खोई
निरगुन निराकार भक्ति रास न आई
सगुण साकार भक्ति गोपीयन मन भाई
ओ गिरधारी तुम पर हम जाएँ बलिहारी

नेहा
खैरथल (अलवर)
राजस्थान

Language: Hindi
4 Likes · 502 Views
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