कृष्ण भक्ति
अलौकिक अविरल भक्ति रस धारा
प्राणप्रिय मनमोहनीय रुप तुम्हारा
अदभुत आत्मीय छवि तिहारी
पीताम्बर पट मोर मुकुट धारी
तुम पर हम जाए बलिहारी
अनगिनत नाम तिहारे
कोई कहे गोपाला कोई साँवरा
भक्त हो जाए भक्ति में बांवरा
श्यामवरण तीक्ष्णनयन ओ पालनहारी
तेरी बंशी की धुन पर हर इक गोपी वारी
मीरा के प्रभू गिरधर नागर करमा के घनश्याम
इक असुवन जल सीच प्रेम बेल बोई
जब तक दरश न दिखाए दुजी भक्ति मे खोई
निरगुन निराकार भक्ति रास न आई
सगुण साकार भक्ति गोपीयन मन भाई
ओ गिरधारी तुम पर हम जाएँ बलिहारी
नेहा
खैरथल (अलवर)
राजस्थान