गिरती रही मैं राहों में उन्होंने संभाला हैं मुझे,
गिरती रही मैं राहों में उन्होंने संभाला हैं मुझे,
ज़िंदगी की हर मुसीबत से बाहर निकाला हैं मुझे,
कहते तो सभी हैं हम तुम्हारे अपने हैं,
पर ज़िंदगी ने सिखा दिया,
इस मतलबी दुनिया मे एक वो ही अपने हैं,
जिन्होंने पाला हैं मुझे।
-वैष्णवी गुप्ता
-कौशांबी