#कुंडलिया//रहे सादापन उरतल
पल में बदले दौर है , करना छोड़ गुमान।
चोट वक़्त की जो लगे , सज्जन हो नादान।।
सज्जन हो नादान , दंभ भूलेंं मत करना।
समय सदा बलवान , मान इसका तू रखना।
सुन प्रीतम की बात , रहे सादापन उरतल।
तभी बनेगा मौज़ , मिला जीवन का हर पल।
#आर.एस. ‘प्रीतम’