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1 Jul 2020 · 1 min read

गालिब

कूटनीति कहे या कहे फूटनीति
कल भी थी आज भी है
गालिब भी है काबिल भी
खुद को जिया ओरों को जीवन दिया
प्रेम पथ पर उतरे खरा,
हर बज़्म व्यवाहरिक है.
मन के पार जो गया,
रीति तोडी छोडी नहीं परम्परा,
हर ठहरे पानी में पत्थर मारते चला.
एक नई ऊँचाई दुनिया को दे चला
जुडकर भी टूटकर भी पैदा होती ऊर्जा,
नहीं पाईभर खर्चा.

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 280 Views
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