गाथा हिन्दी की
हिन्दी दिवस के पावन उपलक्ष्य मे मेरी स्वरचित कविता
धरा हिन्द की पावन भूमि ,
गाथा गौरवमयी गाती है । I
जिससे हमको पहचान मिली,
वह भाषा हिन्दी कहलाती है ॥1॥
स्वर्णमुकुट सा तेज लिए ,
जब स्वरूप में आती है ।
धीर वीर से महायोद्धा को,
अपना शौर्य दिखाती है ॥ 2 ॥
राग- तरंगों का मधुरस भर,
जब मुखमण्डल पर आती है |
ज्ञानपुंज से पूरित होकर,
वीणा की तान सुनाती है ॥ 3 ॥
हिन्दी का गौरव गाया है,
ऋषि मुनि कवि संतो ने I
हिन्दी को वरदान दिया है,
ऋतु में श्रेष्ठ वसंतों ने ॥ 4 ॥
हिन्दी की रक्षा की है,
जिन राष्ट्र भक्त बलवानों ने I
हम उन्हे भुलाकर बैठे है,
न जाने किन अभिमानो मेन ॥ 5 ॥
स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार
14/09/ 2022