गाथा भारत की
सन 47 से इक्कीस वीं सदी तक का सफर तय किया है हमने,
कई धोखे और फरेब के साथ हर कदम को आगे बढ़ाया है हमनें,
हर पड़ोसी के साथ अपने हर रिश्ते को बड़े अदब से निभाया है हमने,
पर उन्ही रिश्तों की आड़ में पीठ पर छुरा कई बार खाया है हमने,
स्माइलिंग बुद्धा से लेकर ऑपरेशन बन्दर तक का सफर तय किया हमने,
एलपीजी के सहारे अपने अर्थ को शिखर पर पहुंचाया भी हमने,
कटु रिश्तों से मधुर याराना रिश्तों तक का सफर तय किया हमने,
हां अपनी विश्वगुरु की पहचान को फिर वापिस कमाया हमने,
नर्म पड़ कई क्षेत्रों में कई क्षेत्रों में कठोर रुख हमने अपनाया है,
अपने देश को किसी गंदी मानसिकता का गुलाम होने से हमने ही बचाया है,
विश्व के बड़े आयातकों से निर्यातक का सफर तय किया हमने,
पूरे विश्व को वसुधेव कुटुंबकम् का पाठ पढ़ाया भी हमने,
रक्षा क्षेत्र में विश्व के कई धुरंधरों को पीछे छोड़ा हमने,
इसरो के सहारे विज्ञान क्षेत्र में भी डंका बजाया हमनें,
गाथा यह विश्व गुरु की चाहकर भी पूरी न हम कर पाएंगे,
क्यूंकि इस गाथा का गौरव बढ़ाने अभी इसके सपूत कई रंग दिखलाएंगे