गाथा अग्रसेन महाराज की (गीत)
_गाथा अग्रसेन महाराज की (गीत)_
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सुनो- सुनो गाथा अग्रोहा अग्रसेन महाराज की
(1)
गाथा है यह महापुरुष राजा की बहुत पुरानी
यह समाज में समता के मूल्यों की अमर कहानी
हुए हजारों वर्ष प्रजा ने गाथा नहीं भुलाई
प्रजा अठारह गोत्रों वाली अग्रवाल कहलाई
बसी हुई ह्रदयों में अब भी जैसे है यह आज की
सुनो- सुनो गाथा अग्रोहा अग्रसेन महाराज की
(2)
यह राजा थे एक जिन्होंने प्रजा पुत्र-वत मानी
भरी हुई वात्सल्य भाव से छवि जानी- पहचानी
यह था उन्नत राज्य जगत में अग्रोहा कहलाया
अग्रसेन राजा के कारण इतिहासों में छाया
उपमा नहीं जगत में जिनकी थी बाँके अंदाज की
सुनो- सुनो गाथा अग्रोहा अग्रसेन महाराज की
(3)
अट्ठारह गोत्रों में बाँटे अग्रोहा के वासी
अग्रवाल कहलाए सारे जन मिलकर अभ्यासी
प्रथा चलाई एक- दूसरे में शादी करने की
कोशिश थी यह भेदभाव की खाई को भरने की
यह गाथा थी एक अनोखे गढ़ने नए सुराज की
सुनो – सुनो गाथा अग्रोहा अग्रसेन महाराज की
(4)
इतिहासों ने एक ईंट रुपये की गाथा गाई
एक लाख की भेंट कुटुंबी के हिस्से में आई
अग्रोहा में अपनापन भाईचारा बसता था
जैसे खिली धूप जाड़ों की अग्रोहा हँसता था
कोई तुलना नहीं अनूठे सुर सरगम उस साज की
सुनो- सुनो गाथा अग्रोहा अग्रसेन महाराज की
(5)
यह गाथा है पशुओं की हिंसा को ठुकराने की
यह गाथा है निकट अहिंसा जीवन में लाने की
यह गाथा है यज्ञों को जो पावन रही बनाती
यह गाथा है उस समाज की नहीं माँस जो खाती
यह गाथा है शाकाहारी- जीवन भरे समाज की
सुनो- सुनो गाथा अग्रोहा अग्रसेन महाराज की
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615 451