*गाड़ी निर्धन की कहो, साईकिल है नाम (कुंडलिया)*
गाड़ी निर्धन की कहो, साईकिल है नाम (कुंडलिया)
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गाड़ी निर्धन की कहो, साईकिल है नाम
बैठे झटपट चल दिए, ग्राम-नगर-फिर ग्राम
ग्राम-नगर-फिर ग्राम, दुपहिया सस्ती भाती
ढाई बैठे लोग, चली तो दौड़ लगाती
कहते रवि कविराय, मजे से पहने साड़ी
लिए गोद में पुत्र, चलाता है पति गाड़ी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451