*गाड़ी तन की चल रही, तब तक सबको प्यार (कुंडलिया)*
गाड़ी तन की चल रही, तब तक सबको प्यार (कुंडलिया)
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गाड़ी तन की चल रही, तब तक सबको प्यार
हुई देह जब अधमरी, समझो बंटाधार
समझो बंटाधार, कौन तन किसका ढोता
अस्पताल में बंद, धनी-निर्धन हर रोता
कहते रवि कविराय, सहज रखिए निज नाड़ी
वरना समझो नर्क, कबाड़ा ज्यों ही गाड़ी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451