गाज गिरी रे गाज गिरी l
गाज गिरी रे गाज गिरी l
जो प्रीत रही धरी धरी ll
प्रीत पीछे पीडा छुपी ।
खासी खासी खरी खरी ।।
हुश्न और इश्क की मार l
गजब गजब गहरी गहरी ll
चोर चालाकी न चाहे l
पापी जब, प्रहरी प्रहरी ll
प्रकृति रंगीन हरीभरी l
सूर्य धूप सदा सुनहरी l
मन पर ना, प्रहरी प्रहरी l
प्यास सदा, अंधी बहरी ll
अरविन्द व्यास “प्यास”