गाओ गीत अब केवल माँ भारती के सम्मान के ,,,
गाओ गीत अब केवल माँ भारती के सम्मान के ,,,
मत गाओ गीत श्रंगार और विहार के ,,,,,,,,,,,,,,,,
हे कलाकार अब तक तो तुमने लिखा ,,,,,,
चाँद पर रजनी पर ,,,,सजनी पर ,,सजनी की हरियाली आँखों पर ..
आँखों की चितवन पर ,,चितवन से सिहरन पर ,,,,,,,
सिहरन से धड़कन पर ,,गुलाब की शाखों पर ,
पर अब तो तुम को आग उगलनी होगी
अब तो तुम को लिखना है ,,संगीनों पर ..
अब बढ़ना ही होगा गोली की नोकों पर ,,.
झर झर झरती गोली भरी मशीनों पर .
खुलने वाला है नेत्र तीसरा शंकर का ,,
उठने वाली है अब सेज शमशानों की ..
है चक्रधार का चक्र सुदर्शन छुट रहा ,,,
जगने वाली है अब किस्मत वीरानो की ……..