*गाई गाथा राम की, तुलसी कविकुल-भूप (कुंडलिया)*
गाई गाथा राम की, तुलसी कविकुल-भूप (कुंडलिया)
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
गाई गाथा राम की, तुलसी कविकुल-भूप
रामचरितमानस हुई, रचना दिव्य अनूप
रचना दिव्य अनूप, काव्य की लय मन भाती
जो पढ़ता मति तृप्त, शुद्ध सात्विक हो जाती
कहते रवि कविराय, सरस दोहे-चौपाई
नगर-नगर हर गॉंव, कथा जन-जन ने गाई
________________________
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451