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25 Sep 2024 · 1 min read

गांव सदाबहार

छोटा सा एक गांव था, ना दंगा कहीं फसाद था l
सब दिन कितने अच्छे थे, हम छोटे से बच्चे थे ll

सब कहते राम राम या करते दुआ सलाम l
सारे ही घर कच्चे थे, जो पक्के से अच्छे थे ll

पूरे गांव के आसपास, रहते जल से भरे तालाब l
जामुन गूलर आम के बाग, कोयल कूके बार-बार ll

फसलों की हरियाली थी, गाय भैंसों की खुशहाली थी l
पौष्टिक देसी खाने थे, निरोगी काया वाले थे ll

सदाबहार शुद्ध अचार, मन “संतोषी” नेक विचार l
अब क्या जीवन शहरो का, ना तुलना में गांव सा ll

शहरों में है भ्रष्टाचार, गांव में है सदाबहार ll
शहर पड़ा अकेला उक्ताऊ, जी चाहता गांव बस जाऊं ll

Language: Hindi
15 Views
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