गांव सदाबहार
छोटा सा एक गांव था, ना दंगा कहीं फसाद था l
सब दिन कितने अच्छे थे, हम छोटे से बच्चे थे ll
सब कहते राम राम या करते दुआ सलाम l
सारे ही घर कच्चे थे, जो पक्के से अच्छे थे ll
पूरे गांव के आसपास, रहते जल से भरे तालाब l
जामुन गूलर आम के बाग, कोयल कूके बार-बार ll
फसलों की हरियाली थी, गाय भैंसों की खुशहाली थी l
पौष्टिक देसी खाने थे, निरोगी काया वाले थे ll
सदाबहार शुद्ध अचार, मन “संतोषी” नेक विचार l
अब क्या जीवन शहरो का, ना तुलना में गांव सा ll
शहरों में है भ्रष्टाचार, गांव में है सदाबहार ll
शहर पड़ा अकेला उक्ताऊ, जी चाहता गांव बस जाऊं ll