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24 Aug 2024 · 1 min read

गांव गली के कीचड़, मिट्टी, बालू, पानी, धूल के।

मुक्तक

गांव गली के कीचड़, मिट्टी, बालू, पानी, धूल के।
काश वही फिर से आ जाएं, दिन अपने स्कूल के।
गंदा झोला फटा पजामा होगा, फिर भी खुश होंगे,
चमक दमक ये गाड़ी बंगला, लगते मुझे फ़िज़ूल के।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
23 Views
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