Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2020 · 2 min read

माता प्रकट हुईं

ये घटना तब की है जब मैं उच्च विद्यालय में पांचवीं या छठी श्रेणी में पढ़ता था। हमारे विद्यालय में सह शिक्षा थी। एक तरफ लड़कियाँ और दूसरी तरफ लड़के बैठते थे।

सब कुछ ठीक चल रहा था , वार्षिक परीक्षाएं आने वाली थी।

एक दिन, मेरी एक सहपाठिनी ममता अचानक बेंच पर बैठी बैठी हिलने लगी, चेहरा थोड़ा तमतमाया सा था ,होंठ कांप रहे थे और माथे पर हल्की पसीने की बूंदे छलक आयी थी।

उसको ऐसा करते देख हम सारे छात्र और छात्राएं उसके आस पास इकट्ठा होने लगे।

तभी किसी ने कहा इस पर तो कोई माता सवार हुई है। ये बात विद्यालय मे आग की तरह फैल गयी और दूसरी कक्षाओं से भी छात्र हमारी क्लास के बाहर इकट्ठा होने लगे, तब तक एक दो टीचर भी आ चुके थे।

पास खड़े एक दो छात्र और छात्राओं को अपनी ओर देखता पाकर ,उसने अपना एक हाथ भी आशीर्वाद की मुद्रा में उठा लिया।

उसका हाथ उठता देख कइयों को उसमे हाथ में चक्र, कलश और किसी को तो किसी देवी की झलक भी दिखने लगी थी।

मैंने भी उसके हाथ को गौर से देखा पर मेरी साधारण दृष्टि , ये सब दावे देखने में नाकाम रही। पर मैँ कुछ बोलकर उस देवी को कुपित नहीं करना चाहता था।

इस बीच ,पिछली बेंचों पर बैठने वाले मेरे कुछ दोस्तों ने तो उसके पांव छूकर अपनी आशंकाएँ और डर मिटाने के लिए ,ये भी पूछ लिया कि वो इस बार परीक्षा में पास तो हो जाएंगे ना?

ममता चुप रही।

कुछ देर बाद उसने अपना सर टेबल पर रख दिया। तब तक उसके घरवाले भी उसे स्कूल से घर ले जाने आ चुके थे।

इसके बाद ऐसी कोई भी घटना देखने को नहीं मिली। शायद माता को भी ये अहसास हो गया था कि स्कूल के समय में नहीं प्रकट होना है!!

Language: Hindi
7 Likes · 3 Comments · 466 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Umesh Kumar Sharma
View all
You may also like:
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
शिव प्रताप लोधी
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
Neeraj Agarwal
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फसल , फासला और फैसला तभी सफल है अगर इसमें मेहनत हो।।
फसल , फासला और फैसला तभी सफल है अगर इसमें मेहनत हो।।
डॉ० रोहित कौशिक
रात तन्हा सी
रात तन्हा सी
Dr fauzia Naseem shad
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
पूर्वार्थ
मजदूर
मजदूर
umesh mehra
संदेशा
संदेशा
manisha
इश्क में हमसफ़र हों गवारा नहीं ।
इश्क में हमसफ़र हों गवारा नहीं ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
gurudeenverma198
"यथार्थ प्रेम"
Dr. Kishan tandon kranti
3355.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3355.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वन को मत काटो
वन को मत काटो
Buddha Prakash
कौन कहता ये यहां नहीं है ?🙏
कौन कहता ये यहां नहीं है ?🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
हिन्दी दोहा -भेद
हिन्दी दोहा -भेद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लोग आते हैं दिल के अंदर मसीहा बनकर
लोग आते हैं दिल के अंदर मसीहा बनकर
कवि दीपक बवेजा
😊😊😊
😊😊😊
*Author प्रणय प्रभात*
मै अपवाद कवि अभी जीवित हूं
मै अपवाद कवि अभी जीवित हूं
प्रेमदास वसु सुरेखा
अवसरवादी, झूठे, मक्कार, मतलबी, बेईमान और चुगलखोर मित्र से अच
अवसरवादी, झूठे, मक्कार, मतलबी, बेईमान और चुगलखोर मित्र से अच
विमला महरिया मौज
जस गीत
जस गीत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ईश्वर का उपहार है बेटी, धरती पर भगवान है।
ईश्वर का उपहार है बेटी, धरती पर भगवान है।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
याद  में  ही तो जल रहा होगा
याद में ही तो जल रहा होगा
Sandeep Gandhi 'Nehal'
*जाते देखो भक्तजन, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
*जाते देखो भक्तजन, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
शिखर के शीर्ष पर
शिखर के शीर्ष पर
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
जाति-पाति देखे नहीं,
जाति-पाति देखे नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...