दादी पोता और फ़िल्म
लगभग ४०-४५ साल पहले का एक दृश्य ,
दादी और उसका १० वर्षीय पोता फ़िल्म देख रहे हैं।
खलनायक के अड्डे पर विवाह का मंडप सजा हुआ है।
पंडित के कहने पर चार पांच मुस्टंडे नायिका को शादी करवाने के लिए जबरदस्ती लेकर आ रहे हैं। नायिका अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही है।
पोता और दादी दम साधे फ़िल्म के पर्दे पर नज़र गड़ाए हुए हैं।
इतने में नायक दरवाजे को धक्के से तोड़ता हुआ अंदर आ जाता है। खलनायक अपना सेहरा फेंक कर नायक की ओर खूनी निगाहों से देखते हुए उसकी ओर दौड़ पड़ता है।
पोता हरकत में आकर अचानक चिल्ल्ला पड़ता है, दादी , ये देखो धर्मेंद्र, धर्मेंद्र!!
दादी का सामान्य ज्ञान, “सम्पूर्ण रामायण” और “हर हर महादेव” बस दो ही फिल्मों का था, वो भी उन्होंने घूँघट की आड़ में देखी थी, किसी जमाने में।
दादी पूछ बैठी, कौन सा रे, ये मूछों वाला क्या?
पोता- अरे नहीं दादी, ये तो प्रेम चोपड़ा है, बहुत बड़ा गुंडा है ये , वो दूसरा नीली शर्ट वाला।
दादी- पर वो तो मार खा रहा है।
पोता- दादी हीरो शुरू, शुरू में मार खाता है, तुम बस देखती जाओ।
इतने में, धर्मेंद्र अपने होंठों के पास लगे खून को पोंछ कर उठ कर खड़ा हो जाता है।
पोता- दादी, अब तुम देखना, ये प्रेम चोपड़ा को कितना मारेगा।
धर्मेंद्र के हाथ के साथ साथ, अब पोते के हाथ भी हवा मे चल रहे है, वो मुंह से बोले जा रहा है, और मारो, और मारो इसको!!
प्रेम चोपड़ा लहूलुहान होकर गिर पड़ा और उसकी गर्दन धर्मेन्द्र के हाथों में है , उसके सभी साथी इधर उधर गिरे पड़े हैं।
पोता खुश होकर, दादी की ओर ज्ञानचक्षु खोल कर ,बोल पड़ता है,
“दादी , हीरो कभी नहीं हारता”!!!
दादी , पोते के इस “असामान्य” ज्ञान पर मुग्ध थी।