गांव
पैरा और पुवालों मे,
दिखते गैया और ग्वलों मे
लिपे पुते मकानो मे,
तरुणियों की तरुणाई में
वृद्धों के आशीषों मे
युवाओं की मेहनत,माओं की फिकरत
प्रातःवंदन,सायं क्रीडा मे
गांव यहीं तो बसता है,
प्रकृति के कोमल आंचल मे ।
पंकज पाण्डेय ‘सावर्ण्य ‘