गांधी न होते यदि कस्तूरबा न होतीं
आत्मनिर्भर दृढ़ इच्छाशक्ति
धवल वस्त्र शांत सौम्य
कस्तूर के बिना मोहन का महात्मा बनना,
शायद बेहद मुश्किल होता।
गांधी महान देशवासियों के भगवान
शांति आजादी के दूत राष्ट्रपिता कहलाए
इतनी उपलब्धियां अपने दम पर कर पाए ?
मजबूत सहारा कस्तूरबा का वर्षों तक साथ रहा
सहयोग मिला उनका तो ही गांधी सफल हो पाए।
दक्षिण अफ्रीकी प्रवास युवा बैरिस्टर गांधी
भारतीयों पे अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठी,
सहभागी कस्तूरबा बनी जेल गयीं यातना सही
आजादी रण बेचैनी भांप सदैव उनके साथ रहीं।
अहिंसा असहयोग सत्याग्रह की प्रणेता वो
हठी गांधी के खिलाफ इस्तेमाल किया
उन्होने ने खुद माना वो मेरी शिक्षिका रही
आत्मकथा मे स्वीकारा प्रेरणा बनीं सहयोग किया।
स्तंभ बनी, हिली नही, डिगी नहीं, पीछे नहीं हटी
हर व्यवहार को स्वीकार कर रण मे डटी रहीं,
एकतरफा ब्रम्हचर्य बिना प्रश्न सिरोधार्य किया
था दो जिंदगियों का सवाल फिर भी स्वीकार किया।
न मिले विचार विरोध किया पर साथ न छोडा
अमान्य फैसलों को मान आदर्श स्थापित किया,
माँ पत्नी दोनो रूपों में साथ दिया
गुप्त रही ये बात न कभी जाहिर किया।
पुरूषों को सभाओं से गांधी
बा महिला समूह जागृत करती,
महिला उत्थान स्वावलम्बन बच्चों का विद्यालय स्वप्न ही होता यदि बा चम्पारन मे न होती।
भारत छोडो आन्दोलन
महिलाओं को जोडने का श्रेय,
बा को यदि न दिया जाए
तो ये अधूरा ही रहता।
मुंबई जन सभा के पूर्व गांधी की गिरफ्तारी
बा ने मोर्चा सम्भाल सभा को संबोधित किया,
मोहन से महात्मा बनने की यात्रा की सहभागी
निसंदेह वो ही थी।
गांधी न होते यदि कस्तूरबा न होतीं।
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
?
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297
द सीक्रेट्स ऑफ कस्तूरबा – नीलम डालमिया, पर आधारित