गांधी तेरे देश में
गांधी तेरे देश में,
बोलते मीठी बोलियां।
निर्धनों के खून से,
खेलते खूनी होलियां ।
सत्य अहिंसा के पुजारी,
झेलते सीने पर गोलियां।
गांधी तेरे देश,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हंसते-हंसते झूल गए,
जान को वह भूल गए।
आजादी के लिए,
लगा दी जान की बोलियां।
गांधी तेरे देश,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हर मानव भारत का सपूत,
घर-घर बने क्रांति दूत।
देश के खातिर लगा दी जवानी क्रांतियां।
गांधी तेरे देश में,
बोलते मीठी बोलियां।
निर्धनों के खून से,
खेलते खूनी होलिया।।
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नारायण अहिरवार
अंशु कवि
सेमरी हरचंद होशंगाबाद