गांधी जी की पुण्यतिथि पर
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पढ़ी जो है किताबों में कहानी याद वो आयी।
तुम्हारी पुण्यतिथि पर आज बापू आँख भर आयी।
कमर में थी घड़ी लटकी पहनते वस्त्र थे खादी।
छड़ी ले हाँथ में तुमने दिला दी राष्ट्र आज़ादी।
लगाकर आँख पर ऐनक हमें सतमार्ग दिखलायी।
तुम्हारी पुण्यतिथि पर आज बापू आँख भर आयी।
पढ़ाया है अहिंसा का सदा ही पाठ भी तुमने।
तुम्हीं से नम्रता वाणी हमेशा सीख ली हमने।
तुम्हारे हौंसलों में दम सदा थी बात सच्चाई।
तुम्हारी पुण्यतिथि पर आज बापू आँख भर आयी।
सहे हो ज़ुल्म तुम कितने डरे न आप आहत से।
बने फिर एक फौलादी भगा गौरों को’ भारत से।
तुम्हारी क्रांति से ही देश में फिर शांति हो पायी।
तुम्हारी पुण्यतिथि पर आज बापू आँख भर आयी।
अभिनव मिश्र अदम्य
शाहजहाँपुर, उ.प्र.