गाँव का बचपन
अभी अहसास फिर जागा कहाँ बचपन गया मेरा ?
कहाँ छूटी है मासूमी ? कहीं क्या कुछ मिला मेरा ?
किसी मासूम सी मुस्कान को देखा तो दिल बोला
इसी मुस्कान के बदले ज़माना था हुआ मेरा।
मैं आया गाँव में जिस दिन बड़ा होकर तो देखा ये
न पीपल है, न कच्चे घर, न कुछ भी अब रहा मेरा।
नहाना झील में यारों के सँग बेसुध से दिन-दिन भर
यही इक दृश्य सबसे प्यारा सा मुझको दिखा मेरा।
चला जब गाँव से वापस कमल शहरों की दुनिया में
ये मेरा ज़िस्म सँग आया, वहीं पर मन रुका मेरा।