गाँव का दृश्य (गीत)
शहरों को छोड़ आप जो सँग मेरे आयेंगे
मंज़र सुहाना गाँव का हर दिन दिखायेंगे
कारों बसों का शोर न कोई धुँआ यहाँ
सरगम का राग छेड़ती बैलों की घण्टियाँ
कोयल की तान मैना की बोली सुनायेंगे
मंज़र सुहाना गाँव का हर दिन
दिखायेंगे
शहरों को छोड़०—-
बर्गर न पिज़्जा केक नहीं चाउमीन है
अपने यहाँ तो गेहूँ का आँटा हसीन है
सरसों का साग मक्के की रोटी खिलायेंगे
मंज़र सुहाना गाँव का हर दिन दिखायेंगे
शहरों को छोड़०——-
सरसों के पीले खेत हैं गेहूँ की बालियाँ
मकरन्द लेती रंग- बिरंगी हैं तितलियाँ
जंगल पहाड़ वादियाँ नद्दी घुमायेंगे
मंज़र सुहाना गाँव का हर दिन दिखायेंगे
शहरों को०—–
कॉफी न चाय लिम्का न पेप्सी की बोतलें
आईसक्रीम कुल्फ़ी के भूलोगे चोंचले
शरबत पिलाऊँ छाछ भी ताज़ा पिलायेंगे
मंज़र सुहाना गाँव का हर दिन दिखायेंगे
शहरों को छोड़०—–
प्रीतम श्रावस्तवी
जनपद- श्रावस्ती