Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2021 · 1 min read

गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार

गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार
बन्द कीजिये मानवता पर अत्याचार
जाति-धर्म के झगड़े से हैं सब लाचार
ईमान का भी हो रहा खूब व्यापार।

गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार

लूट-पाट,दंगो की दुकानें चल रहीं
बहू-बेटियों की अस्मिता लुट रहीं
मंदिर-मस्ज़िद भी फल-फूल रहीं
इन सबसे भरा हुआ है अख़बार।

गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार

मानवता से मानव अब तो भाग रहे
नैतिकता को अपने सारे त्याग रहे
गाँधी के वचन तो सबको याद रहे
इसे मनाते हैं जैसे हो कोई त्यौहार।

गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार

सत्य अहिँसा वाला तेरा रूप रहा
अंग्रेज़ो के ज़ुल्मो से तू नही डिगा
दीन-दुखी को तूने हरिजन नाम दिया।
तेरे उसी रूप क़ी है हमको दरकार।

गाँधी तेरी लाठी करती ये पुकार।

-आकिब जावेद

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 272 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Akib Javed
View all
You may also like:
*मतलब की दुनिया*
*मतलब की दुनिया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आयी ऋतु बसंत की
आयी ऋतु बसंत की
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वाक़िफ़ नहीं है कोई
वाक़िफ़ नहीं है कोई
Dr fauzia Naseem shad
क्यों नहीं लोग.....
क्यों नहीं लोग.....
Ajit Kumar "Karn"
इन आंखों में तुम्हारी तस्वीर इस क़दर कैद है,
इन आंखों में तुम्हारी तस्वीर इस क़दर कैद है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
लें दे कर इंतज़ार रह गया
लें दे कर इंतज़ार रह गया
Manoj Mahato
मेरी ख़ूबी बस इत्ती सी है कि मैं
मेरी ख़ूबी बस इत्ती सी है कि मैं "ड्रिंकर" न होते हुए भी "थिं
*प्रणय*
दिल की धड़कन भी
दिल की धड़कन भी
Surinder blackpen
रुक्मिणी संदेश
रुक्मिणी संदेश
Rekha Drolia
किरणों की मन्नतें ‘
किरणों की मन्नतें ‘
Kshma Urmila
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
Neeraj Agarwal
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
Mahender Singh
भोले नाथ है हमारे,
भोले नाथ है हमारे,
manjula chauhan
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
ग़ज़ल _ थी पुरानी सी जो मटकी ,वो न फूटी होती ,
Neelofar Khan
खुली आँख से तुम ना दिखती, सपनों में ही आती हो।
खुली आँख से तुम ना दिखती, सपनों में ही आती हो।
लालबहादुर चौरसिया लाल
People in your life should be a source of reducing stress, n
People in your life should be a source of reducing stress, n
पूर्वार्थ
" वाणी "
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी ज़रूरतें हैं अजब सी बड़ी, कि मैं,
मेरी ज़रूरतें हैं अजब सी बड़ी, कि मैं,
Kalamkash
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सारे दुख दर्द होजाते है खाली,
सारे दुख दर्द होजाते है खाली,
Kanchan Alok Malu
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
Rj Anand Prajapati
प्रेम का वक़ात
प्रेम का वक़ात
भरत कुमार सोलंकी
*रोटी उतनी लीजिए, थाली में श्रीमान (कुंडलिया)*
*रोटी उतनी लीजिए, थाली में श्रीमान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
यह कैसी आस्था ,यह कैसी भक्ति ?
यह कैसी आस्था ,यह कैसी भक्ति ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
मेरी कलम से...
मेरी कलम से...
Anand Kumar
लेकिन क्यों
लेकिन क्यों
Dinesh Kumar Gangwar
अब न तुमसे बात होगी...
अब न तुमसे बात होगी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
2831. *पूर्णिका*
2831. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"आस्था सकारात्मक ऊर्जा है जो हमारे कर्म को बल प्रदान करती है
Godambari Negi
Loading...