Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2022 · 5 min read

गाँधी जी की अंगूठी (काव्य

गाँधी जी की अंगूठी (काव्य)
**********************************
यह बात आजादी मिलने के बाद गाँधी जी की मृत्यु से थोड़ा पहले के दिनों की रही होगी । रामपुर का एक नवयुवक जिसकी आयु केवल 22 वर्ष थी, महात्मा गाँधी के प्रति असीम श्रद्धा लिए हुए केवल उनके दर्शन की अभिलाषा लिए दिल्ली पहुंचा । गांधीजी दिल्ली में प्रतिदिन प्रार्थना सभा में प्रवचन और भजन करते थे। वहां पर उस नवयुवक ने प्रवचन – सभा में भाग लिया और गांधीजी के दर्शनों का लाभ प्राप्त किया।
रामपुर से दिल्ली उस समय जाना – आना सरल नहीं था। आवागमन के साधन कठिन थे, लेकिन गांधी जी के दर्शनों से यात्रा सफल हो गई ।तीर्थ यात्रा से कम नहीं थी यह यात्रा । और तीर्थ यात्रा के बाद मंदिर में देवता के दर्शन के जैसा ही भाग्य उस युवक को गांधी जी के दर्शन करके लग रहा था।
बात तो यहीं समाप्त हो जाती , लेकिन रामपुर के भाग्य में कुछ और भी था । प्रार्थना सभा में एक महिला ने गांधी जी को सोने की अंगूठी भेंट की । गांधीजी भला सोने की अंगूठी का क्या करते ! उन्होंने उस सोने की अंगूठी को, जो उन्हें उपहार में मिली थी, नीलाम करने का निश्चय किया। घोषणा हुई । रामपुर से आया हुआ वह युवक उत्साह से भर उठा और उसने निश्चय किया कि गांधी जी की अंगूठी को उनकी यादगार और उनके आशीर्वाद के रूप में रामपुर अवश्य लेकर जाएगा । नीलामी में बोली लगी और सबसे बड़ी बोली उस युवक ने अपने पक्ष में लगाकर अंगूठी खरीद ली।
जेब में रुपए उतने नहीं थे जितने की बोली लगाई गई थी। जो धनराशि थी,उसमें से रामपुर वापस लौटने का किराया रोककर शेष धनराशि उस युवक ने जमा कर दी और बाकी धनराशि रामपुर पहुंचकर भिजवाने की बात कही। बात उचित थी। अतः मान ली गई।
गांधी जी ने प्रसन्नता पूर्वक युवक को अपने पास बुलाया। युवक गांधीजी के निकट सानिध्य का लाभ पाकर धन्य हो गया। गांधी जी की मधुर याद दिल में लिए हुए वह रामपुर आया और आकर मनीआर्डर द्वारा वह धनराशि बताए गए पते पर दिल्ली भिजवा दी।
कुछ ही समय बाद गांधीजी इस संसार में नहीं रहे। उस समय तक अंगूठी युवक के बताए गए पते पर रामपुर नहीं आई थी। गांधीजी के न रहने से अंगूठी के न आने की बात भी आई- गई हो गई , लेकिन रामपुर के उस युवक का गांधी जी को उपहार में मिली अंगूठी को नीलामी में खरीदने का प्रसंग सदा- सदा के लिए इतिहास के प्रष्ठों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया।
22 वर्ष का वह नवयुवक आगे चलकर रामपुर का महान सामाजिक कार्यकर्ता बना और उसने शिक्षा के क्षेत्र में सुंदर लाल इंटर कॉलेज तथा टैगोर शिशु निकेतन नामक उत्कृष्ट विद्यालय खोले । नए प्रयोग की दृष्टि से राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय भी शुरू किया। वह नवयुवक सादा जीवन उच्च विचार की साकार प्रतिमूर्ति, मृदुभाषी और सर्वप्रिय श्री राम प्रकाश सर्राफ थे।
**********************************
गाँधी जी की अंगूठी ( काव्य )
**********************************
(1)
नगर रामपुर के वासी थे राम प्रकाश कहाते
आजादी की दीपशिखा गाँधीजी थे मन भाते
(2)
मन में इच्छा बड़ी प्रबल थी दर्शन करके आऊं
कैसे दिखते हैं गांधी जी ,उनको शीश नवाऊँ
(3)
युगों – युगों में कभी एक गाँधीजी जैसा होता
दर्शन नहीं किए जिसने दुर्भाग्यवान वह रोता
(4)
सत्य अहिंसा का आराधक व्रती देश का
नायक
गाँधी जी सच्चे सपूत हैं जन मन के
अधिनायक
(5)
सत्याग्रह के मूल मंत्र से आजादी दिलवाई
धन्य- धन्य भारत ने पाई गांधी की अगुवाई
(6)
उम्र अभी बाईस वर्ष थी, दृढ़ निश्चय कर डाला
गाँधी जी के दर्शन का व्रत युवा हृदय ने
पाला
(7)
एक दिवस चल दिए युगपुरुष के दर्शन करने
को
युग से प्यासी हृदय- धरा को जल से ज्यों
भरने को
(8)
आवागमन कठिन था ,साधन थोड़े ही रहते
थे
लगन ह्रदय में जिनके, साधन उनसे कब
कहते थे
(9)
टिकट कटाया नगर रामपुर से दिल्ली को
आए
गए प्रार्थना- सभा मधुर दर्शन विभूति के
पाए
(10)
प्रवचन -भजन वहां चलते थे, गाँधीजी आते
थे
ईश्वर – अल्लाह नाम एक है ,गाँधीजी गाते थे
(11)
वहीं विराजा था ज्ञानी ,वैष्णव – जन की
परिभाषा
मानवता की सीख दे रहा जो दुनिया की
आशा
(12)
बसे हुए थे जिसके मन में रामनाम गुणकारी
रघुपति राघव मंत्र गूँजते जिसके मन में भारी
(13)
दर्शन पाया युवा हृदय ने सादर शीश झुकाया
ऐसे रामप्रकाश सत्यव्रतधारी ने फल पाया
( 14)
पूर्ण हुई मन की अभिलाषा देव-संत को
देखा
यह दुर्बल काया थी भारत के भविष्य की रेखा
(15)
अहा ! नेत्र में भरकर अमृत-पुन्ज आज ले जाऊँ
राष्ट्रपिता कैसे होते हैं , सबको जा बतलाऊं
( 16)
यह तेजस्वी रूप, धन्य है तप से निर्मित
काया
देव देव सौभाग्य मिला है इसे देख जो पाया
(17)
तभी वहां पर अद्भुत घटना घटित एक हो
पाई
अंगूठी उपहार- भेंट में महिला कोई लाई
(18)
सोने की यह अंगूठी थी अद्भुत भेंट कहाई
किंतु भला गांधी क्या करते, माया कही पराई
(19)
अंगूठी की हुई घोषणा होगी अब नीलामी
बोली बोलो कौन लगाने का होता है हामी
( 20)
राम प्रकाश युवा ने सोचा अच्छा अवसर
पाया
गांधी जी की यादगार यह मन ने जोर लगाया
.(21)
खोने मत दे तनिक सुअवसर यादगार यह
पा – ले
यह अमूल्य है, बोली में कर अपनी ओर लगा
ले
(22)
नगर रामपुर में अंगूठी स्मृति चिह्न रहेगी
श्रद्धा आदर- भाव सर्वदा बारम्बार कहेगी
(23)
यह अंगूठी नगर रामपुर की गाथा गाएगी
इसे देखकर युग निर्माता- कथा याद आएगी
(24)
यह अंगूठी सेतु रामपुर- गाँधी बन जाएगी
गाँधी से जो जुड़ी रियासत भारत कहलाएगी
(25)
उसी रियासत का मैं वासी अंगूठी लाऊंगा
इस तरह वायु में साँसें गाँधी जी की पहुंचाउंगा
(26)
यह अंगूठी सदा मुझे गांधी से मिलवाएगी
यह अंगूठी सदा- सदा सत्पथ ही दिखलाएगी
(27)
इस तरह हृदय के भावों से उत्साही भरकर
आए
रामप्रकाश युवा ने रुपए बढ़कर खूब लगाए
(28)
बोली में वह बढ़े और फिर मुड़कर कभी न
देखा
जैसे गंगा चली शुद्ध अमृत की पावन रेखा
(29)
अहा अहा ! वह अंतिम बोली जो थी गई
लगाई
उसको राम प्रकाश युवा ने अपने हित में पाई
(30)
नीलामी संपूर्ण हुई ,गांधी ने पास बुलाया
राम प्रकाश युवा ने अपना परम भाग्य यह
पाया
(31)
गांधी का सानिध्य पास था,भर आशीष
लुटाते
राम प्रकाश मुग्ध हो- होकर कृपा- राशि
यह पाते
(32)
परम भाग्यशाली वह जिसने गांधी की छवि
पाई
रामप्रकाश भाग्य पर इतराते, अंगूठी आई
(33)
जितना धन था सभी दिया, यात्रा- व्यय
सिर्फ बचाया
शेष राशि भिजवाने का वादा आ तुरत
निभाया
(34)
अंगूठी आती, इससे पहले ही संकट आया
राष्ट्रपिता को एक क्रूर ने अपना लक्ष्य बनाया
(35)
अफरा-तफरी मची कौन अंगूठी किससे मांगे
गांधी जी का महाशोक था, सब के पीछे-
आगे
(36)
नीलामी में मिली, किंतु आधी रह गई कहानी
अंगूठी. की गाथा स्मृतियों में रही जुबानी
(37)
यह प्रसंग सत्पथ का है, गांधी की याद
दिलाता
नगर रामपुर से गांधी का नाता यह बतलाता
(38)
यह प्रसंग बतलाता रामप्रकाश भेंट लाए थे
गांधी जी के मूल्य साथ में दिल्ली से आए थे
(39)
युगों- युगों तक यह प्रसंग श्रद्धा का बोध
कराता
जब- जब आता यह प्रसंग मन आदर से भर
जाता
(40)
राम प्रकाश अमर गांधी ,गांधी जी की अंगूठी
नगर रामपुर अमर, कथा यह पावन अमर
अनूठी
*********************************
रचयिता : रवि प्रकाश पुत्र श्री रामप्रकाश सर्राफ ,बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश) मोबाइल 99976 15451

258 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
मुक्तक
मुक्तक
Rajesh Tiwari
छुपा कर दर्द सीने में,
छुपा कर दर्द सीने में,
लक्ष्मी सिंह
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
शेखर सिंह
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
Ajit Kumar "Karn"
भारती के लाल
भारती के लाल
पं अंजू पांडेय अश्रु
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#शीर्षक- नर से नारायण |
#शीर्षक- नर से नारायण |
Pratibha Pandey
कैसी निःशब्दता
कैसी निःशब्दता
Dr fauzia Naseem shad
గురువు కు వందనం.
గురువు కు వందనం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कि  इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
Mamta Rawat
*हिंदी तो मेरे मन में है*
*हिंदी तो मेरे मन में है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सजल
सजल
seema sharma
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
पूर्वार्थ
हार से डरता क्यों हैं।
हार से डरता क्यों हैं।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
चार मुक्तक
चार मुक्तक
Suryakant Dwivedi
कुछ बाते वही होती...
कुछ बाते वही होती...
Manisha Wandhare
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
डॉ.सीमा अग्रवाल
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
समर्पण
समर्पण
Sanjay ' शून्य'
निशाचार
निशाचार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
Surinder blackpen
" जब "
Dr. Kishan tandon kranti
#दोहा
#दोहा
*प्रणय*
मुरधर
मुरधर
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मेरा इतिहास लिखोगे
मेरा इतिहास लिखोगे
Sudhir srivastava
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...