ग़ुंचा
दिल के वीरान सहरा में ग़ुंचा ए इश्क का खिलना
सदीद दर्द देता है अपने भॅंवरे से नहीं मिलना
~ सिद्धार्थ
कदमों से मुहब्बत कभी नापा नहीं जाता
ये वो रोग है जिसका दाग कभी नहीं जाता
उनकी मर्जी वो दो चार कदम हाथ पकड़ के चले
निभाने का हुनर हो तो सफ़र खाली नहीं जाता
~ सिद्धार्थ