ग़र तुम आओ तो..
ग़र तुम आओ तो..
तेरी चाहत में टूट कर बिखरना भी है मंज़ूर
जो दिल जोड़ने ग़र तुम आओ तो
परवाह नहीं इश्क़ में हुए रुसवा या मशहूर
जो वफ़ा निभाने ग़र तुम आओ तो
दोज़ख़ की राह भी क़बूल मोहब्बत में हुज़ूर
जो संग छोड़ने ग़र तुम आओ तो
तेरी आशिक़ी में तन्हाई, फ़ासले भी मंज़ूर
जो क़रीब पहले ग़र तुम आओ तो
उफ़ न करेंगे तोड़ देंगे रूह का रिश्ता,फ़ितूर
जो पहले तोड़ने ग़र तुम आओ तो
सहेज कर रखेंगे तेरे तोहफ़े में दिए नासूर
जो मरहम लगाने ग़र तुम आओ तो
रेखांकन।रेखा