ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
तो पहले कुंदन जैसा तपना ही होगा ।
‘तुम पहुँच जाओ अपनी मंज़िल तक जल्दी ही’,
माँ की आँखों में ऐसा सपना ही होगा ।
पापा ने, कितने, तेरे हित, बलिदान दिए,
उन बलिदानों को सफ़ल बनाना ही होगा ।
माँ-बाप, गाँव सब राह देखते हैं तेरी,
इस बार जीत कर वापिस आना ही होगा ।।
— सूर्या