ग़मों को भुलाकर भी जीना पड़ता है
कुछ ग़मों को भूलाकर भी जीना पड़ता है
कुछ दर्द सीने में दबाकर भी जीना पड़ता है
कभी अश्क़ बहाके दिल का बोझ हल्का करते हैं
कभी कभी यह बोझ उठाकर भी जीना पड़ता है
कभी कभी अपनों को भी ज़ख़्म देना पड़ता है
कभी ग़ैरों से ज़ख़्म खाकर भी जीना पड़ता है