ग़ज़ल _ सवाल तुम करो कभी , जवाब बार – बार दें ।
ग़ज़ल
1,,
सवाल तुम करो कभी , जवाब बार – बार दें ,
जहाँ जहाँ हों मुश्किलें ,वहीं तुम्हें क़रार दें ।
2,,
तुम्हीं हो ज़िंदगी मेरी , तुम्हीं से राबता मेरा ,
ढलान पर हो गर्दिशें , सँभाल कर उतार दें ।
3,,
फ़लक पे खूब नूर है , ज़मीं पे कोहिनूर है ,
निगाह में है रौशनी , क़रीब आ सँवार दें ।
4,,
गुलाब दिन ढले मिला , मगर नहीं मुझे गिला ,
जो मिल गईं हैं खुशबुएँ, तुम्हीं पे हम निसार दें ।
5,,
शरारती ये शोर क्यों उठा हुआ है हर तरफ़,
हिफ़ाज़तों के दायरे में , आ तुम्हें हिसार दें ।
6,,
मैं बेपनाह चाहता मगर न कह सका कभी ,
गले लगा के “नील” को बहार सा दुलार दें ।
✍️नील रूहानी ,,, 23/11/2024,,,,,🥰
( नीलोफर खान )