ग़ज़ल _ मैं ग़ज़ल आपकी, क़ाफिया आप हैं ।
,,212_212_212_212,,
ग़ज़ल
1,,
मैं ग़ज़ल आपकी, क़ाफिया आप हैं ,
मैं हूं तन्हा अगर , साथिया आप हैं ।
2,,
राह मिलती नहीं ,चल पड़े हैं क़दम,
आस टूटी तभी , नाज़िया आप हैं ।
3,,
कारवाँ चल दिया , रोशनी खो गई ,
उन अँधेरों में बस, इक ज़िया आप हैं।
4,,,
हारती मैं रही , जीत हासिल नहीं,
उस घड़ी आ मिले, फौज़िया आप हैं।
5,,
छाये मायूसियाँ , दर बदर लोग सब ,
हाल बेहाल का , नज़रिया आप हैं ।
6,,
छोड़ जाना नहीं , रिश्ते होते हँसी,
मैं हूं प्यासा कुआं, बदरिया आप हैं ।
7,,,
चलते चलते मिले ,बहके बहके सनम,
‘नील’ चाहे जिसे , शाज़िया आप हैं ।
✍️ नील रूहानी ,,19/07/2023,,,
( नीलोफर खान )
नाज़िया _आशावादी // ज़िया _ प्रकाश ,,
फौज़िया _सफ़ल, विजयी // शाज़िया _खुशबू ,,