ग़ज़ल _ दिलकश है मेरा भारत, गुलशन है मेरा भारत ,
नमन साथियों 🌹💖
दिनांक _ 14/08/2024,,,
बह्र….. 221 1222 221 1222
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ग़ज़ल
1,,,
दिलकश है मेरा भारत, गुलशन है मेरा भारत ,
जन्में हैं यहीं पर हम , तन मन है मेरा भारत ।मतला
2,,,
हर रंग के पंछी हैं , लेकिन हैं सभी सँग सँग ,
बरसात में खुशबू सा , सावन है मेरा भारत ।
3,,,
हर लब पे ज़ुबां अपनी, हिन्दी की अलग रंगत,
ख़ूबी की हिफाज़त में, चिलमन है मेरा भारत।
4,,,
गुलज़ार हुई सांसें , इसकी ही हवाओं में ,
कहते हैं सभी यारों, धड़कन है मेरा भारत ।
5,,,
भूले हो अगर कुछ भी , अपनों से ज़रा से पूछो ,
हर काम में आसानी , अमलन है मेरा भारत ।
6,,,
हाथों में उठा मिट्टी , खुशबू को ज़रा सूंघो,
रिश्तों के खज़ानों का ,दरपन है मेरा भारत।
7,,,
कमज़ोर समझना मत ,ये “नील” सदा कहती ,
दुश्मन का हमेशा से , दुश्मन है मेरा भारत ।
✍️नील रूहानी,,, 14/08/2024,,,,
( नीलोफर खान )
शब्दार्थ __
चिलमन _ चिक , पर्दा ,,,
अमलन _ सत्यता पूर्वक,,,
दरपन _ आइना , खिड़की ,,,