ग़ज़ल _ छोटी सी ज़िंदगी की ,,,,,,🌹
आदाब दोस्तों 🌹🥰
बह्र ….. 221 2122 2212 122,,
🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾
#ग़ज़ल
1,,
छोटी सी ज़िंदगी की फरमाइशें बहुत हैं ,
लेकिन खुदा के घर तक अज़माइशें बहुत हैं ।
2,,
ताबीर देखते जब हम ख़्वाब की सवेरे,
एहसास तब ये होता आराइशें बहुत हैं ।
3,,
अब दौर ये कयामत सा हो गया जहाँ का ,
धड़कन भी कह उठी थी, नूमाइशें बहुत हैं ।
4,,
तुरबत पे रोज़ आकर देता रहा दुआएं ,
ख़ामोश उन निगाहों की ख्वाहिशें बहुत हैं ।
5,,
हालात ने दिखाया , अक्सर हमें भी यारों ,
रिश्तों के दरमियां पलती ,रंजिशें बहुत हैं ।
6,,
घर छोड़ के न जाओ कहती थी “नील” सबसे,
सावन बरस गया जब ,फिर बारिशें बहुत हैं।
✍️ नील रूहानी,,,, 27/06/2024,,,,,,,💖
( नीलोफर खान )