ग़ज़ल _ खुशनुमा बन कर रहेगी ज़िंदगी।
ग़ज़ल
1,,
खुशनुमा बन कर रहेगी ज़िंदगी ,
अब गुलों जैसी खिलेगी ज़िंदगी।
2,,
छट गया सारा अँधेरा रात का ,
रौशनी अहमर मिलेगी ज़िंदगी ।
3,,
आ गए हम शाह के दरबार में ,
बादशाहों सी जमेगी ज़िंदगी ।
4,,
साथ होगा जब सजन का फैसला ,
तब बुलंदी पर बढ़ेगी ज़िंदगी ।
5,,
दूर हो जब हमसफ़र ,कैसा सुकूँ ,
बस दुआ करती रहेगी ज़िंदगी ।
6,,
हर खुशी से, शाद हो आबाद हो ,
दिल में चाहत हो सजेगी ज़िंदगी ।
7,,
“नील” की हर साँस की आवाज़ है ,
हर क़दम सँग सँग चलेगी ज़िंदगी ।
✍️नील रूहानी,,,26/11/2024,,,🌹
🌹 नीलोफर खान 🌹
अहमर _ महत्वपूर्ण,खास.