ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
नमन साथियों 🙏🌹
दिनांक _ 13/08/2024,,
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बह्र __ 2122 2122 2122 212
💖 ग़ज़ल 💖
1,,,
जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ,
जन्म से पाई ये मिट्टी ,रब का ये एहसान है ।
2,,,
बुलबुलें गाती तराने , झूमता है हर शजर ,
आ गए नीचे सभी, अपना तिरंगा शान है ।
3,,,
कोयलों की गूंज से बागों में आती है महक,
नाचती फसलें इधर , खेतों में आए धान है ।
4,,,
पूर्व पश्चिम देख कर ,उत्तर व दक्षिण देख लो
हर बशर देता यहां पर, सबको ही सम्मान है ।
5,,,
ज़र्रे ज़र्रे में महक है , फूल हो या हो डगर,
धर्म मेरा जात मेरी , सिर्फ़ हिंदोस्तान है ।
6,,,,
गर ज़रूरत आ गई तो ,देंगे अपना ख़ून भी ,
सरहदों पर सैनिकों सँग, नागरिक कुर्बान है ।
7,,,
हो गई है अब अज़ां , पढ़ने को वक्फ़ा चाहिए,
हर तरह की ये इबादत, देश की मुस्कान है ।
8,,,
मानते भगवान मेहमां को ,यहां की रीत सब,
“नील” घर का भेदिया ही , तो बड़ा हैवान है ।
✍️ नील रूहानी ,,,,13/08/2024,,
( नीलोफर खान )