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17 Nov 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

ये बादल के चाँद-सितारे
नानी के किस्सों से हारे।

धूप कड़ी है मत झुलसो तुम
वृद्ध वृक्ष की छांव पुकारे!

जारी सफ़र सदा ही रखना
चींखें ना ये घाव तुम्हारे!

जबसे तुमने मुड़ना छोड़ा
राह निहारें गाॅंव बेचारे

आलिंगन बस करके जाना
जननी तुम पर जीवन वारे!

प्यार चाँद का झूठा है ये
जाने कितने टूटे तारे।

अगर आत्मा की वो सुन ले,
फिर ना भटके मारे-मारे

रश्मि लहर

1 Like · 28 Views

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