Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Nov 2024 · 1 min read

वो मेरी ज़िंदगी से कुछ ऐसे ग़ुजर गया

ग़ज़ल
वो मेरी ज़िंदगी से कुछ ऐसे ग़ुजर गया
इक फूल शाख़ से गिरा गिर कर बिखर गया

मैं सोचता था हर्फ़-ए-दुआ¹ से असर गया
रब की अता से दस्त-ए-तलब² मेरा भर गया

दौर-ए-ख़िज़ाँ³ में साथ ये तन्हाइयाँ रही
आये समर⁴ तो पेड़ परिंदों से भर गया

कब तक रहोगे मुब्तला⁵ गफ़लत की नींद में
जागो कि अब तो सर से भी पानी गुज़र गया

ऐसी घुटन कि साँस भी लेना हुआ मुहाल
ये कौन इतना ज़हर हवाओं में भर गया

हाकिम⁶ ने देखो, छीन लिये ना! तुम्हारे हाथ
इनआम-ए-फ़न⁷ की चाह में , दस्त-ए-हुनर⁸ गया

आख़िर तेरी अना⁹ की बग़ावत में ऐ ‘अनीस’
दस्तार¹⁰ तो गयी ही गयी साथ सर गया
– अनीस शाह ‘अनीस ‘

1.प्रार्थना 2.याचना के लिए उठे हाथ 3.फल 4.पतझड़ का समय 5.व्यस्त 6.शासक 7.कला के लिए पुरुस्कार 8.कौशल भरा हाथ 9.अहम(ego)10.पगड़ी

Language: Hindi
1 Like · 33 Views

You may also like these posts

अर्ज है पत्नियों से एक निवेदन करूंगा
अर्ज है पत्नियों से एक निवेदन करूंगा
शेखर सिंह
आज जिंदगी को प्रपोज़ किया और कहा -
आज जिंदगी को प्रपोज़ किया और कहा -
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सुबह
सुबह
Neeraj Agarwal
बूंद बूंद में प्यास है, बूंद बूंद में आस।
बूंद बूंद में प्यास है, बूंद बूंद में आस।
Suryakant Dwivedi
" इतिहास लिखो "
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन जीने का ढंग भाग 2, - रविकेश झा
जीवन जीने का ढंग भाग 2, - रविकेश झा
Ravikesh Jha
*Eternal Puzzle*
*Eternal Puzzle*
Poonam Matia
"मेरे पाले में रखा कुछ नहीं"
राकेश चौरसिया
मुक्ममल हो नहीं पाईं
मुक्ममल हो नहीं पाईं
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक...
मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
रिश्ते वक्त से पनपते है और संवाद से पकते है पर आज कल ना रिश्
रिश्ते वक्त से पनपते है और संवाद से पकते है पर आज कल ना रिश्
पूर्वार्थ
परिदृश्य
परिदृश्य
Vivek Pandey
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
Neeraj Naveed
फूल से खुश्बू महकना चाहिए
फूल से खुश्बू महकना चाहिए
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
अगर कभी तुम्हारे लिए जंग हो जाए,
अगर कभी तुम्हारे लिए जंग हो जाए,
Jyoti Roshni
if you have not anyperson time
if you have not anyperson time
Rj Anand Prajapati
4254.💐 *पूर्णिका* 💐
4254.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अनजान राहों का सफर
अनजान राहों का सफर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
नव वर्ष
नव वर्ष
Ayushi Verma
जूझ रहा था तालाब पानी के अभाव में।
जूझ रहा था तालाब पानी के अभाव में।
Vinay Pathak
An Evening
An Evening
goutam shaw
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
नहीं बदलते
नहीं बदलते
Sanjay ' शून्य'
दोस्ती का सफर
दोस्ती का सफर
Tarun Singh Pawar
नारी- शक्ति आह्वान
नारी- शक्ति आह्वान
Shyam Sundar Subramanian
इश्क
इश्क
Karuna Bhalla
आसन
आसन
ज्योति
"तुम्हें कितना मैं चाहूँ , यह कैसे मैं बताऊँ ,
Neeraj kumar Soni
हर एक सांस सिर्फ़ तेरी यादें ताज़ा करती है,
हर एक सांस सिर्फ़ तेरी यादें ताज़ा करती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
Harminder Kaur
Loading...