~ग़ज़ल ~
~ग़ज़ल ~
कोई पहले कोई बाद में परेशान हुआ।
जो ना समझा हर इक बात में परेशान हुआ।
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ये दुनिया चल रही ऐसे ही रफ्तार में कुछ ,
कोई तन्हा कोई साथ में परेशान हुआ।
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कभी तो देखें अपने आस और पास में भी,
सच्च क्यों झूठे करामात में परेशान हुआ।
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जितनी चालाकियां हैं आज इंसान के बीच,
अपने हाथो हर हालात में परेशान हुआ।
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ऐसे जाना दुनिया छोड़ प्यार-हल्ले ‘प्यासा’
हर एक दिल दिखे याद में परेशान हुआ।
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-‘प्यासा’
Vijay Kumar Pandey
मौलिक