#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ ज़माना चल रहा है…!!
【प्रणय प्रभात】
– बड़ा गाना-बजाना चल रहा है।
अभी मौसम सुहाना चल रहा है।।
– नए पर्दे, थिएटर सब नया है।
मगर नाटक पुराना चल रहा है।।
– पताका राम की लहरा रही है।
दशानन का ज़माना चल रहा है।।
– भले ही पास में टांगे नहीं हैं।
मगर फिर भी बहाना चल रहा है।।
– बहुत मुमकिन है कल सब फूंक डालें।
अभी टायर जलाना चल रहा है।।
– मुझे उस रास्ते जाना नहीं है।
कि जिस पे ये ज़माना चल रहा है।।
– न करने को न धरने को है कुछ भी।
महज बातें बनाना चल रहा है।।
– सलामत हैं अभी तक पांव जिनके।
उन्हें लाठी थमाना चल रहा है।।
– उधर बस गाल पीटे जा रहे हैं।
इधर ताली बजाना चल रहा है।।
– सुना है इन दिनों छोटे कुओं पे।
समंदर का नहाना चल रहा है।।
– वही मनहूस चेहरे हर तरफ़ हैं।
वही फ़र्ज़ी तराना चल रहा है।।
– कभी उस राह पे चल के तो देखो।
जिधर मुझ सा दिवाना चल रहा है।।
– समय आने पे दंगल भी करेंगे।
अभी मुर्ग़े लड़ाना चल रहा है।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)