ग़ज़ल
जिसके पीछे भाग रहे हो यह दुनिया की माया है.
दुनिया से सबको जाना होगा जो दुनिया में आया है।
अपना अपना कहते हो,लेकिन दो गज कब्र मिलेगी।
माल ओ दौलत में इंसा ने खुद को बस भरमाया है।
सब दुनिया में रह जाएगी साथ तेरे न जाएगी।
दौलत के पीछे तुमने जो सुख और चैन गंवाया है।
आगे पीछे ऊंचे नीचे कुछ भी सोच नहीं रखते।
हमने जिससे यारी की है उसका साथ निभाया है।
हम जिससे मिलने की ख्वाहिश दिल में लेकर जीते हैं।
“सगीर” वही अनजान बना है,वो महफिल में आया है।