Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Oct 2018 · 1 min read

ग़ज़ल

काफ़िया-आन
रदीफ़-ए जाने ज़िगर
2122 2122 2122 212

मान से ज़्यादा मिला सम्मान ए जाने ज़िगर।
हो गए पूरे सभी अरमान ए जाने ज़िगर।

ज़िंदगी में शख़्सियत थी कुछ सवालों से घिरी
आज लगता बन गया धनवान ए जाने ज़िगर।

हुस्न के आगोश में पाई नई अल्हड़ सहर
भूल बैठा इश्क में ईमान ए जाने ज़िगर।

ज़िंदगी के रंज़ोगम से अब नहीं कोई गिला
हो गया खुद आप पर कुर्बान ए जाने ज़िगर।

रात लगती शरबती हसरत लगें मुझको जवाँ
मैकदा नज़रें बनीं सामान ए जाने ज़िगर।

दिल नहीं बाज़ार उल्फ़त का बिके यौवन जहाँ
इश्क ज़न्नत प्यार की अनुमान ए जाने ज़िगर।

ख़्वाहिशें ज़िंदा दफ़न थीं मन में ‘रजनी’ आज तक
थाम बाहें कर दिया अहसान ए जाने ज़िगर।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

241 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
जेठ की दुपहरी में
जेठ की दुपहरी में
Shweta Soni
फूल   सारे   दहकते  हैं।
फूल सारे दहकते हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
व्हाट्सएप युग का प्रेम
व्हाट्सएप युग का प्रेम
Shaily
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सदविचार
सदविचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"दरवाजा"
Dr. Kishan tandon kranti
बंदिशें
बंदिशें
Kumud Srivastava
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
रात स्वप्न में दादी आई।
रात स्वप्न में दादी आई।
Vedha Singh
यदि आपका आज
यदि आपका आज
Sonam Puneet Dubey
अच्छा कार्य करने वाला
अच्छा कार्य करने वाला
नेताम आर सी
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
23/171.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/171.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
याद - दीपक नीलपदम्
याद - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
Poonam Matia
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"मज़ाक"
Divakriti
परिस्थिति और हम
परिस्थिति और हम
Dr. Rajeev Jain
2) “काग़ज़ की कश्ती”
2) “काग़ज़ की कश्ती”
Sapna Arora
बादलों पर घर बनाया है किसी ने...
बादलों पर घर बनाया है किसी ने...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बाल गोपाल
बाल गोपाल
Kavita Chouhan
मित्र दिवस पर आपको, सादर मेरा प्रणाम 🙏
मित्र दिवस पर आपको, सादर मेरा प्रणाम 🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
तुम्हें संसार में लाने के लिए एक नारी को,
तुम्हें संसार में लाने के लिए एक नारी को,
शेखर सिंह
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
खैर-ओ-खबर के लिए।
खैर-ओ-खबर के लिए।
Taj Mohammad
तुम नहीं हो
तुम नहीं हो
पूर्वार्थ
रहमत थी हर जान ,,,
रहमत थी हर जान ,,,
Kshma Urmila
रिश्ता निभाता है कोई
रिश्ता निभाता है कोई
Sunil Gupta
इस दिल बस इतना ही इंतकाम रहे,
इस दिल बस इतना ही इंतकाम रहे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...