ग़ज़ल
आदाब दोस्तों 🌹🥰
दिनांक,,, 27/05/2024,,,
बह्र….2122 2122 2122 2
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ा,
💖
ग़ज़ल = ( 6 )
1,,
मशवरा सुनता नहीं , कोई किसानों का ,
आ गया मौसम, इधर जब भी चुनावों का ।
2,,
राह से गुमराह करते जो भी लोगों को ,
हो नहीं सकता भला उन रहनुमाओं का ।
3,,
झोपड़ी जलती, कभी जलती दुकानें हैं ,
है मसीहा कौन ,बोलो इन गरीबों का ।
4,,
हर तरफ़ है शोर ,मिलकर क्यों नहीं रहते ,
क्या हुआ जनता को ,लालच छोड़ नारों का ।
5,,
ज़िंदगी मुश्किल हुई है , दौर कैसा ये ,
मुतमइन होता नहीं दिल भी इरादों का ।
6,,
बोलते बढ़ चढ़ के ,करते कुछ नहीं सच में ,
क्या करें अब यार , इन सारे ही झूठों का ।
7,,
“नील” का फरमान है ये ,जाग जाओ सब,
मुंह कुचल दो ,आस्तीनों के भी सांपों का ।
✍️नील रूहानी ,,,,,,,01/03/2024,,,🥰
( नीलोफर खान,, स्वरचित )