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22 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल

212 212 212 2
जिंदगी कर चुकी थी बगावत
बात तक तो रही थी शराफत

क्या करें बात उनकी आज हम
पाल बैठे हमी से अदावत

सर्द रातें बड़ी जुल्म ढाए
भेज दी नींद मेरी अदालत

साथ मे चल पड़ो हाथ ले कर
आज ले कर चलेंगे इजाज़त

प्यार के नाम पर साथ दे दो
हो गयी आज थोड़ी हरारत

कौन अब तक हुआ है किसी का
वक्त तक कर रहा है शरारत

सब शिकायत सुनाते थे वो
पर कहाँ छोड़ पाए सदाकत

सुशीला जोशी, विद्योत्तमा
9719260777

Language: Hindi
118 Views

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