Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2018 · 1 min read

ग़ज़ल

काफ़िया-अता
रदीफ़- कह रहा अपनी कहानी
2122 2122 2122 212

मंज़िलों को मैं भटकता कह रहा अपनी कहानी।
रंज़ोग़म से मैं गुज़रता कह रहा अपनी कहानी।

रात-दिन आँसू बहाता नींद ना आती मुझे
प्यार पाने को मचलता कह रहा अपनी कहानी।

मैं रहा ख़ामोश अक़सर वो ज़रा मगरूर सी
प्रेम नैनों से बरसता कह रहा अपनी कहानी।

ग़ैर की होकर बनाए फ़ासले थे दरमियाँ
दर्द सीने में पनपता कह रहा अपनी कहानी।

पढ़ लिया हर हर्फ़ मैंने आज उसकी जीश्त का
मैं वफ़ाई को तड़पता कह रहा अपनी कहानी।

ज़ख्म ज़ालिम से मिले रुस्वाइयों के दौर में
कारवाँ को मैं तरसता कह रहा अपनी कहानी।

दूर तक कोई शज़र ‘रजनी’ नज़र आता नहीं
छाँव की उम्मीद करता कह रहा अपनी कहानी।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिक-साहित्य धरोहर

197 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आगे का सफर
आगे का सफर
Shashi Mahajan
" पीती गरल रही है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
चंचल मन***चंचल मन***
चंचल मन***चंचल मन***
Dinesh Kumar Gangwar
संयम रख ऐ जिंदगी, बिखर सी गई हू |
संयम रख ऐ जिंदगी, बिखर सी गई हू |
Sakshi Singh
लत
लत
Mangilal 713
🙅यक़ीन मानिए🙅
🙅यक़ीन मानिए🙅
*प्रणय*
सुख भी बाँटा है
सुख भी बाँटा है
Shweta Soni
लोग मेरे  इरादों को नहीं पहचान पाते।
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
Ashwini sharma
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
सिद्धार्थ गोरखपुरी
4468 .*पूर्णिका*
4468 .*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
Ranjeet kumar patre
युग अन्त
युग अन्त
Ravi Shukla
जिंदगी मौत तक जाने का एक कांटो भरा सफ़र है
जिंदगी मौत तक जाने का एक कांटो भरा सफ़र है
Rekha khichi
कई जिंदगियां महफूज़ रहती हैं,
कई जिंदगियां महफूज़ रहती हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
Vijay kumar Pandey
*ज़िंदगी में बहुत गम है*
*ज़िंदगी में बहुत गम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
??????...
??????...
शेखर सिंह
गर्मी और नानी का आम का बाग़
गर्मी और नानी का आम का बाग़
अमित
"अभिलाषा"
Dr. Kishan tandon kranti
जो भगवान श्रीकृष्ण अपने उपदेश में
जो भगवान श्रीकृष्ण अपने उपदेश में "धर्मसंस्थापनार्थाय संभवाम
गुमनाम 'बाबा'
Value the person before they become a memory.
Value the person before they become a memory.
पूर्वार्थ
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Shiftme
कांटें हों कैक्टस  के
कांटें हों कैक्टस के
Atul "Krishn"
दोस्ती की हद
दोस्ती की हद
मधुसूदन गौतम
पारस्परिक सहयोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
पारस्परिक सहयोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
Ajit Kumar "Karn"
यह जीवन अनमोल रे
यह जीवन अनमोल रे
विजय कुमार अग्रवाल
हिंदी दिवस - 14 सितंबर
हिंदी दिवस - 14 सितंबर
Raju Gajbhiye
जल से सीखें
जल से सीखें
Saraswati Bajpai
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...