ग़ज़ल
बादलों को हटाया ।
चाँद फिर मुस्कुराया ।
आस का इक सितारा,
आज फिर टिमटिमाया ।
झूठ सच, सच है झूठा,
धन्य है तेरी माया ।
जो कोई कर न पाये,
वक़्त ने कर दिखाया ।
आपकी ही चमक से,
सारा जग जगमगाया ।
जो भी है वो यहीं था,
कौन क्या ले के आया ?
०००
—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।