ग़ज़ल
मिली नज़रें किसी से यूँ हटाना भूल बैठे हम
मुहब्बत हो गई इतनी ज़माना भूल बैठे हम/1
क़रीने से मिलें हम यूँ मिलें ज्यों चाँदनी-चंदा
जुदाई का हक़ीक़त में तराना भूल बैठे हम/2
तरीक़े से किया हर काम पूरा हो यकीं हमको
नहीं होगा सुनाए जो बहाना भूल बैठे हम/3
बुराई हार जाती है बुरा सोचें न समझें हम
भलाई को सराहेंगे हराना भूल बैठे हम/4
बिकेगा जो सरे-बाज़ार में क़ीमत सुनो उसकी
भुला उसको सदा दिल से लगाना भूल बैठे हम/5
किसी की याद में जीवन बिताएँ क्यों तन्हाई में
मज़े में तुम सज़ा हमको हसीना भूल बैठे हम/6
मिले ‘प्रीतम’ हज़ारों ग़म हमें तुमसे मगर फिर भी
तुझे दिल में बसाया यूँ भुलाना भूल बैठे हम/7
आर. एस. ‘प्रीतम’