ग़ज़ल
तुमने पूँछा कैसा हूँ ?
बगुले – सा चौकन्ना हूँ ।
जपती है दादी जिसको,
उस माला का मनका हूँ ।
जैसा हँसते हैं पापा,
बिल्कुल वैसा हँसता हूँ ।
जितना रोती है मम्मी,
मैं भी उतना रोता हूँ ।
अद्भुत साहस है जिसमें,
उस बहना का भैया हूँ ।
कोयल-सी जो मीठी है,
उस बेटी का पापा हूँ ।
बेटा की आँखें कहतीं,
मैं पापा के जैसा हूँ ।
दर्द जिसे आनंद बना,
उस भैया का भ्राता हूँ ।
बहुत चाहते मित्र मुझे,
उनके लिए भरोसा हूँ ।
एक शिष्य है प्रिय मेरा,
कुछ-कुछ उसके जैसा हूँ ।
नाम मेरा रटती रहती,
उस पत्नी की माला हूँ ।
असमय छोड़ गए हैं जो,
उन अनुजों की ममता हूँ ।
रूह “ईश्वर” की जिसमें,
उस ईश्वर की काया हूँ ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।